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कभी-कभी कितना सुना हो जाता है मन, कुछ लिखना चाहूं

कभी-कभी कितना सुना हो जाता है मन, कुछ लिखना चाहूं भी तो जैसे कुछ बचा ही नही मेरे पास, सब कुछ खो गया हो, बस दो-चार शब्द यूं ताकते है जैसे किसी नीरव रात्रि मे किसी वृक्ष के कोटर मे डरे, सहमे से कुछ पंछी जिन्हे ये आभास हो गया हो कि इस रात्रि के भाग्य मे कोई सुबह नही....

©Karan Mehra #akelapan💔 
#andhera 
#Love
कभी-कभी कितना सुना हो जाता है मन, कुछ लिखना चाहूं भी तो जैसे कुछ बचा ही नही मेरे पास, सब कुछ खो गया हो, बस दो-चार शब्द यूं ताकते है जैसे किसी नीरव रात्रि मे किसी वृक्ष के कोटर मे डरे, सहमे से कुछ पंछी जिन्हे ये आभास हो गया हो कि इस रात्रि के भाग्य मे कोई सुबह नही....

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#andhera 
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rishabhmehra9055

Karan Mehra

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