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एक बाजार लगा मोहब्बत का , सौदेबाजी जोरों से ह

एक बाजार लगा मोहब्बत का , 
    सौदेबाजी जोरों से हुई...

किसी को मिला खरीददार अच्छा, 
     अपनी यारी इक छोरी से हुई....

हमको हमीं से चुराया उसने
 अपनी सहेलियों के सामने 
अपना करीबी और खास बताया उसने...

फिर प्यार वाली लकीरें इन हाथो से फ़िसल गई
 मेरा वक्त बदला तो वो भी बदल गई......

जिस दिन अलग हुए तो, 
मर जाऊँगी कहा करती थीं,
मोहब्बत ही नहीं हमारा गुस्सा भी सहा करती थी

परछाई बन कर साथ रहती थीं वो, 
दूर जाने पर आंखों से बहती थी वो...

कोई माने या ना माने, 
शादी तो आप ही से होगी, 
यार कितना झूठ कहा कहती थी वो..!!

©U P #यादें_मिटाएं_नहीं_मिटती
एक बाजार लगा मोहब्बत का , 
    सौदेबाजी जोरों से हुई...

किसी को मिला खरीददार अच्छा, 
     अपनी यारी इक छोरी से हुई....

हमको हमीं से चुराया उसने
 अपनी सहेलियों के सामने 
अपना करीबी और खास बताया उसने...

फिर प्यार वाली लकीरें इन हाथो से फ़िसल गई
 मेरा वक्त बदला तो वो भी बदल गई......

जिस दिन अलग हुए तो, 
मर जाऊँगी कहा करती थीं,
मोहब्बत ही नहीं हमारा गुस्सा भी सहा करती थी

परछाई बन कर साथ रहती थीं वो, 
दूर जाने पर आंखों से बहती थी वो...

कोई माने या ना माने, 
शादी तो आप ही से होगी, 
यार कितना झूठ कहा कहती थी वो..!!

©U P #यादें_मिटाएं_नहीं_मिटती
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