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कल रात, फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम

कल रात, फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी। कल रात,फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी।

कल रात, फिर से शाम आई थी,
बातों की पोटली,
यादों का पिटारा और एक धुंधला चेहरा,
अपने साथ ले आई थी।
कल रात, फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी। कल रात,फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी।

कल रात, फिर से शाम आई थी,
बातों की पोटली,
यादों का पिटारा और एक धुंधला चेहरा,
अपने साथ ले आई थी।
vikasrawal1872

Vikas Rawal

New Creator

कल रात,फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात, फिर से शाम आई थी, बातों की पोटली, यादों का पिटारा और एक धुंधला चेहरा, अपने साथ ले आई थी। #Poetry