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(फरेबी रिश्तेदार) शेर मैं अपने साथ, लोगों कि पहच

(फरेबी रिश्तेदार) 
शेर 
मैं अपने साथ, लोगों कि पहचानने कि नज़र रखता हूँ, 
तुम आना मेरे साथ फ़रेबी का चादर ओढ़कर  । 
क्यों की मैं अपने साथ हमेसा एक ख़ंज़र रखता हूँ, 
दिल जबसे टूटा, लोगों पर विश्वाश न रहा, इसलिए मेरे अपने, अपने साथ नमक रखते हैं, पर मैं अपने दिल पर पत्थर रखता  हूँ। 
लेखक; विजय सर जी

©Vijay Kumar #Pattiyan  शायरी हिंदी में
(फरेबी रिश्तेदार) 
शेर 
मैं अपने साथ, लोगों कि पहचानने कि नज़र रखता हूँ, 
तुम आना मेरे साथ फ़रेबी का चादर ओढ़कर  । 
क्यों की मैं अपने साथ हमेसा एक ख़ंज़र रखता हूँ, 
दिल जबसे टूटा, लोगों पर विश्वाश न रहा, इसलिए मेरे अपने, अपने साथ नमक रखते हैं, पर मैं अपने दिल पर पत्थर रखता  हूँ। 
लेखक; विजय सर जी

©Vijay Kumar #Pattiyan  शायरी हिंदी में