Nojoto: Largest Storytelling Platform

आस्था के शहर में हूँ मोहब्बत के नगर में हूँ। कोई न

आस्था के शहर में हूँ
मोहब्बत के नगर में हूँ।
कोई नाम तो पूछो 
मैं अपने महबूब के आँगन में हूँ। तू मिलना न चाहें मुझसे 
मैं मिलना चाहूं तुझसे
पर कैसी  ये मज़बूरी हैं
ख़ुद खफ़ा हैं सिर्फ़ मुझसे।
आस्था के शहर में हूँ
मोहब्बत के नगर में हूँ।
कोई नाम तो पूछो 
मैं अपने महबूब के आँगन में हूँ। तू मिलना न चाहें मुझसे 
मैं मिलना चाहूं तुझसे
पर कैसी  ये मज़बूरी हैं
ख़ुद खफ़ा हैं सिर्फ़ मुझसे।

तू मिलना न चाहें मुझसे मैं मिलना चाहूं तुझसे पर कैसी ये मज़बूरी हैं ख़ुद खफ़ा हैं सिर्फ़ मुझसे। #शायरी