तेरे उलझे उलझे बाल तेरी ये शर्माति सी चाल तेरे वो आँखो के ख्वाब है मेरे जीने की वजह गुनगुनी धूप की पहर मेरे नज़रों से चुराती वो नज़र छुपी हुई मुस्कान की वो शरारत तेरे गालों को चूमती हवा की वो हिमाकत है मेरे दीवानेपन की गवाह तेरे कदमों से चलती मुझ तक पहुचती अपनी पहली मुलाकात की वो दास्तां। #khush #First_Meeting #pehli_mulakat