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तेरे उलझे उलझे बाल तेरी ये शर्माति सी चाल तेरे वो

तेरे उलझे उलझे बाल
तेरी ये शर्माति सी चाल
तेरे वो आँखो के ख्वाब
है मेरे जीने की वजह
गुनगुनी धूप की पहर
मेरे नज़रों से चुराती वो नज़र
छुपी हुई मुस्कान की वो शरारत
तेरे गालों को चूमती हवा की वो हिमाकत
है मेरे दीवानेपन की गवाह
तेरे कदमों से चलती
मुझ तक पहुचती
अपनी पहली मुलाकात की वो दास्तां।
#khush #First_Meeting #pehli_mulakat
तेरे उलझे उलझे बाल
तेरी ये शर्माति सी चाल
तेरे वो आँखो के ख्वाब
है मेरे जीने की वजह
गुनगुनी धूप की पहर
मेरे नज़रों से चुराती वो नज़र
छुपी हुई मुस्कान की वो शरारत
तेरे गालों को चूमती हवा की वो हिमाकत
है मेरे दीवानेपन की गवाह
तेरे कदमों से चलती
मुझ तक पहुचती
अपनी पहली मुलाकात की वो दास्तां।
#khush #First_Meeting #pehli_mulakat