आहट तो हुई नही , पर भीतर ही भीतर कुछ टुटा तो है, चेहरे की शिकन भले ही रोक लूँ, पर कोई दर्द पुराना उठा तो है, इतने दूर आकर ऐसा क्यूँ लग रहा, मानो कुछ पीछे छूटा तो है, और ये बस्ती यूँ ही लूट नहीं मामूली हवाओं से ,इसे किसी तूफ़ाँ ने इसे लूटा तो हैं। ©Gautam Sharma #लूटा तो है