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ज़िस्म काग़ज़ का सुलग जाता ज़रा सी आँच से ही देख पत्थर

ज़िस्म काग़ज़ का सुलग जाता ज़रा सी आँच से ही
देख पत्थर हो गया घायल  इक टुकड़ा काँच से ही
जो  बहादुर है  नहीं  डरता  बड़ी गर  फौज  भी हो
सौ  रहे  कौरव  मगर  हारे  वो  पांडव  पाँच  से ही.

©malay_28
  #कागज़ का बदन
malay285956

malay_28

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#कागज़ का बदन #शायरी

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