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शीर्षक - मैं तन्हाई में ऐसा करता हूँ -------------

शीर्षक - मैं तन्हाई में ऐसा करता हूँ
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मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ।
कभी रोता हूँ मैं, कभी हँसता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

तुम तो रहे आखिर, हमसे बड़े आदमी।
याद तुम्हें करने को, पैसा खर्च करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

पहनता हूँ कपड़ें मैं, तुमसे मिलने आने को।
देखकर वक़्त फिर, सामान नीचे रखता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

तलाशता हूँ तुमको मैं, उन लिखें खतों में।
तुमको लिखें खतों को, मैं तलाशा करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

समझता हूँ मैं भी, तुम्हारी मजबूरी को।
तुम्हारे आने की राह, मैं देखा करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

नाम तो मेरे साथ ही, तुम्हारा भी होगा।
उसी रिश्तें के ख्वाब, मैं बुना करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
शीर्षक - मैं तन्हाई में ऐसा करता हूँ
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मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ।
कभी रोता हूँ मैं, कभी हँसता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

तुम तो रहे आखिर, हमसे बड़े आदमी।
याद तुम्हें करने को, पैसा खर्च करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

पहनता हूँ कपड़ें मैं, तुमसे मिलने आने को।
देखकर वक़्त फिर, सामान नीचे रखता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

तलाशता हूँ तुमको मैं, उन लिखें खतों में।
तुमको लिखें खतों को, मैं तलाशा करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

समझता हूँ मैं भी, तुम्हारी मजबूरी को।
तुम्हारे आने की राह, मैं देखा करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।

नाम तो मेरे साथ ही, तुम्हारा भी होगा।
उसी रिश्तें के ख्वाब, मैं बुना करता हूँ।।
मैं तन्हाई में----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गजल_सृजन