अलार्म जब सवेरे गहरी नींद में मदहोश रहता हूं बिल्कुल ही खामोश रहता हूं दुनिया से मेरा कोई नाता नहीं होता मैं कहां हूं कुछ पता नहीं होता तब तुम मेरे कानों के पास अचानक आवाज लगाने लगते हो जैसे तुम मुझे नहीं जानते हो हमारी आदतों को नहीं पहचानते हो तुम मेरी नींद से वाक़िफ़ नहीं हो और तुम किसी से ख़ाइफ़ नहीं हो मुझे नींद से जगा देती हो मैं नहीं चाहता पर फिर भी वक्त पर उठा देती हो वक्त पर जगना सिखाते हो इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी की कद्र करना बताते हो कुछ भी हो तुम मुझे बहत भाते हो तुम मुझे बहत याद आते हो 🙂 ©Ahmad Raza #अलार्म #alone