सावन की प्रेम कहानी.. सावन का साया छाया मन,मोर,घटा,भॅवर भाया हर ओर हरियाली,खुशियाली, माया हो प्रेम मगन मन इश्क गाया... गाया सारे राग की रेखा, बादल के बहार बाग देखा, चहुं ओर अभ्र बवंडर रेखा, लहरों से ढका समंदर देखा, हुआ दिल बाग बाग जैसे पवन झोखा।। फिर दिन ऐसे गुजरे चंद चार चंचल, जैसे चांद की चारु चरुवर, आगे आंगन की आबरू गिरधर, जरा साम्य सोच नहीं अचल-विचल। गर सब पाक है नही ज़रा मन खोटा फिर धन,धाम, धर्म क्यूं भुला बैठा प्रज्ञा परे धरो मन ढोठा। सुबह का भुला शाम को लौटा।। - गीतेय... ©rritesh209 #safar #SawanLoveSeason #yqdidi #yqbaba #nojatohindi