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*पंचतत्व* पर एक कविता ईश्वर आशीष से सजे पंचतत्व,

*पंचतत्व* पर एक कविता

ईश्वर आशीष से सजे पंचतत्व, 
और तेरे मेरे बन गये अस्तित्व।
छाया नभ से मिली, तेज अग्नि से.. 
पवन, नीर, धरा से मिले ममत्व।
----
ईश्वर ने बताया कर्मों का महत्व, 
हम तुम करते रहे सदा काम सत्व।
मार्ग नीर देगा व मंजिलें पवन,
नभ अग्नि धरा हमें देंगे बोध तत्व।
-----
ईश्वर ने रची परिधि सबकी समत्व,
रखा अपने संग समय का स्वामित्व।
दया दान एवं धर्म कर्म तय करेंगे, 
विलीन कैसे हो प्रभु के पंचतत्व।

ईश्वर आशीष से सजे पंचतत्व, 
और तेरे मेरे बन गये अस्तित्व।

कवि आनंद दाधीच। भारत

©Anand Dadhich #पंचतत्व #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia 

#Flower
*पंचतत्व* पर एक कविता

ईश्वर आशीष से सजे पंचतत्व, 
और तेरे मेरे बन गये अस्तित्व।
छाया नभ से मिली, तेज अग्नि से.. 
पवन, नीर, धरा से मिले ममत्व।
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ईश्वर ने बताया कर्मों का महत्व, 
हम तुम करते रहे सदा काम सत्व।
मार्ग नीर देगा व मंजिलें पवन,
नभ अग्नि धरा हमें देंगे बोध तत्व।
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ईश्वर ने रची परिधि सबकी समत्व,
रखा अपने संग समय का स्वामित्व।
दया दान एवं धर्म कर्म तय करेंगे, 
विलीन कैसे हो प्रभु के पंचतत्व।

ईश्वर आशीष से सजे पंचतत्व, 
और तेरे मेरे बन गये अस्तित्व।

कवि आनंद दाधीच। भारत

©Anand Dadhich #पंचतत्व #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia 

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