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जख्म़ सिलते हैं दवा देते हैं, ख़ुश रहो सबको दुआ

जख्म़ सिलते  हैं  दवा देते हैं,
ख़ुश रहो सबको दुआ देते हैं, 

सच्चे मुर्शिद की पहचान यही, 
अपने  अंदर  का  पता देते हैं,

ज्ञान देकर के उजाला फैलाते, 
सत्य की रहगुज़र  बता देते हैं,

ढूँढती फिरती है जिसे दुनिया, 
घट के भीतर ही लखा देते हैं,

ज़िन्दगी  जीने का हुनर देकर, 
स्वाद अमृत का  चखा देते हैं,

सयाने पार कर जाते हैं दरिया, 
नादान अवसर को गँवा देते हैं,

प्रेम विश्वास  की पूँजी 'गुंजन',
मुफ़्त  में  लोग  लुटा  देते  हैं,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #बता देते हैं#
जख्म़ सिलते  हैं  दवा देते हैं,
ख़ुश रहो सबको दुआ देते हैं, 

सच्चे मुर्शिद की पहचान यही, 
अपने  अंदर  का  पता देते हैं,

ज्ञान देकर के उजाला फैलाते, 
सत्य की रहगुज़र  बता देते हैं,

ढूँढती फिरती है जिसे दुनिया, 
घट के भीतर ही लखा देते हैं,

ज़िन्दगी  जीने का हुनर देकर, 
स्वाद अमृत का  चखा देते हैं,

सयाने पार कर जाते हैं दरिया, 
नादान अवसर को गँवा देते हैं,

प्रेम विश्वास  की पूँजी 'गुंजन',
मुफ़्त  में  लोग  लुटा  देते  हैं,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #बता देते हैं#