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बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को एक सुबह

बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे


बीत गई है ना जाने कितनी सुबह कितनी सांझे जो अब लौट के ना आएगी
ना आएगी शायद तुम्हारे वादे की वो सांझ जो हमे मिलवाएगी

©aman sharma बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे
बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे


बीत गई है ना जाने कितनी सुबह कितनी सांझे जो अब लौट के ना आएगी
ना आएगी शायद तुम्हारे वादे की वो सांझ जो हमे मिलवाएगी

©aman sharma बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे
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