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amansharma5968
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aman sharma

दोस्तो मुझे पता नही मैं कैसा लिखता हूं लेकिन आपके लाइक्स के साथ साथ कमेंट करके बताए तो और अच्छा लगेगा वैसे हम उत्तर प्रदेश में सुरमई शहर से है।

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aman sharma

ग़ज़ल हो तुम मेरी तुम ही मेरी नज़्म हो
तन्हाई मेरी तुम बिन तुम ही मेरी बज़्म हो

तसव्वुफ मिला है तुमसे तसव्वुर भी तुमसे नसीब है
जाज़िब सा चेहरा तेरा मुझसे ज्यादा इश्क तेरा मुझे अज़ीज़ है

कभी खता से भी कोई खता हो तो नजरंदाज कर देना
गमों की बारिशों को दिल में आने से इंकार कर देना

साथ चलो तुम तमाम उम्र मेरी बस इतनी सी इल्तिज़ा है
ख्वाब भी मेरा तुमसे है ना कोई मेरी अब और दुआ है

©aman sharma #Mic
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aman sharma

बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे


बीत गई है ना जाने कितनी सुबह कितनी सांझे जो अब लौट के ना आएगी
ना आएगी शायद तुम्हारे वादे की वो सांझ जो हमे मिलवाएगी

©aman sharma बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को 
एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को

मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी
पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी

राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे
बैठोगे पास मेरे  बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे

बैठे है दहलीज पर ताक रहे है ढलती सांझ को एक सुबह वादा किया था तुमने जाते हुए आ जाओगे सांझ को मगर ये ना बताया की वो सांझ होगी कौन सी पड़े है चुपचाप से दिन मेरे और राते पड़ी है मौन सी राह तकते है आंसू लिए आंखो में की अब तुम लौट कर आओगे बैठोगे पास मेरे बाहों में लेकर हाल मेरा बतलाओगे #कविता #SuperBloodMoon

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aman sharma

जिंदा हू बेवजह, मेरे जीने की तुम वजह बन जाना
ढलती है शाम तन्हाई के साथ 
मेरी महफिल की सुबह तुम  बन जाना

थक से गए हैं कदम लड़खड़ा गया हू अकेला बस मेरे साथ चलने का सहारा तुम बन जाना
हाथ पकड़ लेना सहरा में तुम , दरिया में कश्ती का किनारा तुम बन जाना 

रुक जाऊ जो कुछ कहते कहते , बोल पाने की ताकत ना हो 
बस इतनी सी है गुजारिश है मेरी मेरे लफ्जो  का इशारा तुम बन जाना

©aman sharma जिंदा हू बेवजह, मेरे जीने की तुम वजह बन जाना
ढलती है शाम तन्हाई के साथ 
मेरी महफिल की सुबह तुम  बन जाना

थक से गए हैं कदम लड़खड़ा गया हू अकेला बस मेरे साथ चलने का सहारा तुम बन जाना
हाथ पकड़ लेना सहरा में तुम , दरिया में कश्ती का किनारा तुम बन जाना 

रुक जाऊ जो कुछ कहते कहते , बोल पाने की ताकत ना हो

जिंदा हू बेवजह, मेरे जीने की तुम वजह बन जाना ढलती है शाम तन्हाई के साथ मेरी महफिल की सुबह तुम बन जाना थक से गए हैं कदम लड़खड़ा गया हू अकेला बस मेरे साथ चलने का सहारा तुम बन जाना हाथ पकड़ लेना सहरा में तुम , दरिया में कश्ती का किनारा तुम बन जाना रुक जाऊ जो कुछ कहते कहते , बोल पाने की ताकत ना हो #शायरी #Mic

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aman sharma

मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना
अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना

एक तकलीफ तो सह चुके हैं इश्क की दोबारा तुम इसे नासूर ना बना देना
होती है चुभन हवा के हर हसीं झोखे के साथ तुम इसे और दर्द की वजह ना बना देना

बड़ी मुश्किल से सीखा है अपने आप में जीना मैने, तुम इसे अपने पैरो पे खड़ा करके ना गिरा देना 
खो दिया है शिरा जो मैने मोहब्बत का दोबारा फिर तुम मुझे ना शिरा देना

मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना
अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना

©aman sharma मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना
अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना

एक तकलीफ तो सह चुके हैं इश्क की दोबारा तुम इसे नासूर ना बना देना
होती है चुभन हवा के हर हसीं झोखे के साथ तुम इसे और दर्द की वजह ना बना देना

बड़ी मुश्किल से सीखा है अपने आप में जीना मैने, तुम इसे अपने पैरो पे खड़ा करके ना गिरा देना 
खो दिया है शिरा जो मैने मोहब्बत का दोबारा फिर तुम मुझे ना शिरा देना

मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना एक तकलीफ तो सह चुके हैं इश्क की दोबारा तुम इसे नासूर ना बना देना होती है चुभन हवा के हर हसीं झोखे के साथ तुम इसे और दर्द की वजह ना बना देना बड़ी मुश्किल से सीखा है अपने आप में जीना मैने, तुम इसे अपने पैरो पे खड़ा करके ना गिरा देना खो दिया है शिरा जो मैने मोहब्बत का दोबारा फिर तुम मुझे ना शिरा देना #शायरी #Mic

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aman sharma

तुमको खुश रखने की ख्वाहिश में जीता जा रहा हूं
गम तुम्हारे हिस्से के बिन बताए पीता आ रहा हूं

चाहता हूं मेरे हिस्से के ख़्वाब तेरी आंखों से देखू 
हो कोई तेरी तमन्ना तो उसकी अपनी हसरतो से सींचू

बाहरे हो चमन में तेरे ना कोई फूल मुरझाए कभी
हो चाहते पूरी तेरी ना कभी कोई वजह सताए कभी

आंसू तेरी आखों के अपनी आंखो से रोता आ रहा हूं
शरारते सारी तेरी और  गुस्ताखिया हस हस के संजोता आ रहा हूं
तुमको खुश रखने की ख्वाहिश में जीता जा रहा हूं
गम तुम्हारे हिस्से के बिन बताए पीता आ रहा हूं

©aman sharma तुमको खुश रखने की ख्वाहिश में जीता जा रहा हूं
गम तुम्हारे हिस्से के बिन बताए पीता आ रहा हूं

चाहता हूं मेरे हिस्से के ख़्वाब तेरी आंखों से देखू 
हो कोई तेरी तमन्ना तो उसकी अपनी हसरतो से सींचू

बाहरे हो चमन में तेरे ना कोई फूल मुरझाए कभी
हो चाहते पूरी तेरी ना कभी कोई वजह सताए कभी

तुमको खुश रखने की ख्वाहिश में जीता जा रहा हूं गम तुम्हारे हिस्से के बिन बताए पीता आ रहा हूं चाहता हूं मेरे हिस्से के ख़्वाब तेरी आंखों से देखू हो कोई तेरी तमन्ना तो उसकी अपनी हसरतो से सींचू बाहरे हो चमन में तेरे ना कोई फूल मुरझाए कभी हो चाहते पूरी तेरी ना कभी कोई वजह सताए कभी #Mic

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aman sharma

कर्ण कुंती संबोधन।

सूर्य पुत्र हूं दानवीर मैं रण में मैं हुकारूंगा
कुंती तेरे छह पुत्रों में से एक पुत्र मैं मारूंगा
क्यों ना सोचा था जन्म समय पर मेरे तब तूने धिक्कार दिया 
एक मित्र दुर्योधन के बाद सारी दुनिया ने तिरस्कार किया
माना की पुत्र धर्म निभाने का हक मेरा है 
किन्तु माता मातृ धर्म का तेरी ओर से अंधेरा है
क्षत्रीय हूं है वंश मेरा भी फिर क्यों सूतपुत्र का तमगा जोड़ा है 
क्यों मेरी माता ने मेरे कुल मुझसे नाता तोड़ा है
कहना कुछ शेष नहीं मृत्यु मिले तो मृत्यु को में स्वीकारूंगा 
सूर्य पुत्र हूं दानवीर मैं रण में मैं हुकारूंगा
कुंती तेरे छह पुत्रों में से एक पुत्र मैं मारूंगा।

©aman sharma कर्ण कुंती संबोधन।

सूर्य पुत्र हूं दानवीर मैं रण में मैं हुकारूंगा
कुंती तेरे छह पुत्रों में से एक पुत्र मैं मारूंगा
क्यों ना सोचा था जन्म समय पर मेरे तब तूने धिक्कार दिया 
एक मित्र दुर्योधन के बाद सारी दुनिया ने तिरस्कार किया
माना की पुत्र धर्म निभाने का हक मेरा है 
किन्तु माता मातृ धर्म का तेरी ओर से अंधेरा है

कर्ण कुंती संबोधन। सूर्य पुत्र हूं दानवीर मैं रण में मैं हुकारूंगा कुंती तेरे छह पुत्रों में से एक पुत्र मैं मारूंगा क्यों ना सोचा था जन्म समय पर मेरे तब तूने धिक्कार दिया एक मित्र दुर्योधन के बाद सारी दुनिया ने तिरस्कार किया माना की पुत्र धर्म निभाने का हक मेरा है किन्तु माता मातृ धर्म का तेरी ओर से अंधेरा है #कविता

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aman sharma

तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं
मिट जाऊ या गुम हो जाऊ ,
 बस तेरी धुन में रम जाऊ 
 शब हो तुझसे ,सुबह भी हो, 
चांद तारे, फूल और कालिया भी हो 
बिन तेरे मेरी कायनात अधूरी है 
अपनी इश्क जुबां से ये कह जाऊ
तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं
सूरज का मुस्काना, चंदा का इतराना बिन तेरी मर्जी के बिन दिन का ना चल पाना
बिन बोले दिल की बाते आखों ही आंखो से कह जाना
बोले तू जो हर लफ्ज़ तेरा मिश्री जैसा घुल जाना 
लेकिन मेरे दिल में क्या है प्रियतमा कैसे मैं बतलाऊ
तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं

©aman sharma तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं
मिट जाऊ या गुम हो जाऊ ,
 बस तेरी धुन में रम जाऊ 
 शब हो तुझसे ,सुबह भी हो, 
चांद तारे, फूल और कालिया भी हो 
बिन तेरे मेरी कायनात अधूरी है 
अपनी इश्क जुबां से ये कह जाऊ
तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं

तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं मिट जाऊ या गुम हो जाऊ , बस तेरी धुन में रम जाऊ शब हो तुझसे ,सुबह भी हो, चांद तारे, फूल और कालिया भी हो बिन तेरे मेरी कायनात अधूरी है अपनी इश्क जुबां से ये कह जाऊ तू जो कर दे इशारा फलक से चांद जमीं पर ले आऊं #Love #love❤ #शायरी #Drops

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aman sharma

मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे
जाओगे दूर मगर दिल की धड़कन बनकर धड़कोगे
आग इश्क की कम तो ना होगी दूरी आने से
मेरी तन्हाई में भी तुम मेरा सितारा बनकर चमकोगे
महफिल होगी, शाम भी रोशन होगी ,
मेरी शामो की तुम अगड़ाई बनकर महकोगे
मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे

©aman sharma मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे
जाओगे दूर मगर दिल की धड़कन बनकर धड़कोगे
आग इश्क की कम तो ना होगी दूरी आने से
मेरी तन्हाई में भी तुम मेरा सितारा बनकर चमकोगे
महफिल होगी, शाम भी रोशन होगी ,
मेरी शामो की तुम अगड़ाई बनकर महकोगे
मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे

मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे जाओगे दूर मगर दिल की धड़कन बनकर धड़कोगे आग इश्क की कम तो ना होगी दूरी आने से मेरी तन्हाई में भी तुम मेरा सितारा बनकर चमकोगे महफिल होगी, शाम भी रोशन होगी , मेरी शामो की तुम अगड़ाई बनकर महकोगे मेरी मोहब्बत के जज़्बात तुम ना समझोगे #Flower #शायरी

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aman sharma

सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया 
तिरछी नज़र से देखा और मुस्कुरा दिया 
सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया
तुम्हारी इस अदा पर आज हमने दिल हार दिया
यादों में तुम्हारी सारा दिन बस तुममें गुजार दिया
खोए खोए से रहे सारे दिन अभी तो रात भी बाकी है
मयखाना है तेरी आंखे जिसका दिल मेरा साकी है
प्यार का सारा दरिया तुमने अपनी आंखो से बहा दिया
सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया

©aman sharma सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया 
तिरछी नज़र से देखा और मुस्कुरा दिया 
सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया
तुम्हारी इस अदा पर आज हमने दिल हार दिया
यादों में तुम्हारी सारा दिन बस तुममें गुजार दिया
खोए खोए से रहे सारे दिन अभी तो रात भी बाकी है
मयखाना है तेरी आंखे जिसका दिल मेरा साकी है
प्यार का सारा दरिया तुमने अपनी आंखो से बहा दिया

सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया तिरछी नज़र से देखा और मुस्कुरा दिया सचमुच आज तो तुमने गज़ब ढा दिया तुम्हारी इस अदा पर आज हमने दिल हार दिया यादों में तुम्हारी सारा दिन बस तुममें गुजार दिया खोए खोए से रहे सारे दिन अभी तो रात भी बाकी है मयखाना है तेरी आंखे जिसका दिल मेरा साकी है प्यार का सारा दरिया तुमने अपनी आंखो से बहा दिया #शायरी #Trees

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aman sharma

गुलिस्तां गुलजार था दिल का बस थोड़ी सी आंखो में नमी थी 
सब कुछ था पास मेरे बस मेरे हाथ में तेरे हाथो की कमी थी 
क्या क्या नही सोचा था हमने शरद शाम को अपने आगोश में लेकर 
बस अब उसी आगोश में दिल की आह दबी थी 
साथ रहने की लकीर किस्मत ने लिखी तो थी लेकिन  मुझे क्या ख़बर ,
वो लकीर भी तेरी तरह फरेबी थी।

©aman sharma गुलिस्तां गुलजार था दिल का बस थोड़ी सी आंखो में नमी थी 
सब कुछ था पास मेरे बस मेरे हाथ में तेरे हाथो की कमी थी 
क्या क्या नही सोचा था हमने शरद शाम को अपने आगोश में लेकर 
बस अब उसी आगोश में दिल की आह दबी थी 
साथ रहने की लकीर किस्मत ने लिखी तो थी लेकिन  मुझे क्या ख़बर ,
वो लकीर भी तेरी तरह फरेबी थी।

गुलिस्तां गुलजार था दिल का बस थोड़ी सी आंखो में नमी थी सब कुछ था पास मेरे बस मेरे हाथ में तेरे हाथो की कमी थी क्या क्या नही सोचा था हमने शरद शाम को अपने आगोश में लेकर बस अब उसी आगोश में दिल की आह दबी थी साथ रहने की लकीर किस्मत ने लिखी तो थी लेकिन मुझे क्या ख़बर , वो लकीर भी तेरी तरह फरेबी थी। #Rose #कविता

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