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याद मुझको अब तक वो सांवली सूरत,, न भूलूंगा मरते द

याद मुझको अब तक 
वो सांवली सूरत,,
न भूलूंगा मरते दम तक
वो सांवली सी सूरत,,
बिछाए रहती रहो मेरी
अपनी वो निगाहें
रहती लब पे उसके 
मेरे लिए दुआएं
न मिलता था शुकून मुझको
देखूं न जब तक
वो सांवली सी सूरत,,
इतनी भोली थी इतनी प्यारी
वो चाह थी हमारी
छाई रहती थी एक उदासी
मुस्कुराती नहीं थी जब तक
वो सांवली सी सूरत,,

©Sandeep Pratap
  वो सांवली सी सूरत

वो सांवली सी सूरत #शायरी

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