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White "दिल की जज्बात " :::::::::::::::::::::::::::

White "दिल की जज्बात "
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इस मौसम में लिखूं तो किस मौसम में लिखूं।
कि मुझे तुमसे ईश्क हैं।
फिर क्यों कैसा रिश्क है।।

इस सावन में न कहूं तो किस सावन में कहूं।
की ये दिल बेकरार हैं।
हां मुझे तुमसे प्यार हैं।।

अब न चाहूं तो फिर बोलो कब तुम्हे चाहूं।
जब दूसरो की चाहत हो जाओगी 
किसी अनजाने की अमानत बन जाओगी ।।

ऐसे न रूठूं मनाऊं तो फिर कैसे रूठूं मनाऊं।
यहीं तो सच्चा प्रेम मोहब्बत हैं।
ईश्वर की मर्जी और कुर्बत हैं।।

अब न तुमसे मिलूं तो फिर कब तुमसे मिलूं।
इसी से तो नजदीकिया बढ़ेगी।
गहरे रिश्ते की भावना जगेगी।।

इस बारिश में न बोलूं तो किस बारिश में बोलूं।
की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा।
प्यार से भीं प्यारा हैं प्यार हमारा।।

अभी इजेहार न करूं तो कब इजहार करूंगा।
मान या न मान मै तेरा मेहमान।
हम दो दिल और एक हैं जान।।

आज तुम्हें मन की बात न बताऊं तो फिर कब बताऊं।
बोलूं की I love you जानेमन ।
कसम से हम तुम्हारे हैं सनम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी।    
           (पोएट्री लवर्स)
           भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
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