Nojoto: Largest Storytelling Platform
prakashvidyarthi4483
  • 46Stories
  • 12Followers
  • 564Love
    3.9KViews

Prakash Vidyarthi

  • Popular
  • Latest
  • Video
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White "प्रथा स्वयंवर होता"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

काश फिर से कोई प्रथा स्वयंवर होता।
नीचे स्वतंत्र धरती ऊपर खुला अम्बर होता।।

मिलता सबको आमंत्रण सब धुरंधर होता।
न कल छपत किसी के अन्दर होता।।

भेदता कोई जन मानव मछली की आँखें सही आंसर होता।
बन जाते सारथी कान्हा जीवन में न भूमि कोई बंजर होता।।

प्रेमी अपनी प्रतिष्ठा में जाता सात समन्दर होता।
प्रेम की परीक्षा में जो जीता वहीं सिकन्दर होता।।

कोई भी राम सीता लखन कोई बजरंगी बन्दर होता।
जाती धर्म के बन्धन से परे मुहब्बत का मंतर होता।।

न कोई बड़ा न कोई छोटा न कोई छुछुंदर होता।
समानता का सामान अवसर प्राप्त पुरंदर होता।।

तोड़ देता कोई भी धनुष शिव भक्ती का तंतर होता।
सह लेता कोई भी कष्ट चाहें पथ में कांटे कंकड़ होता।।

त्याग देती गर सुख नारी लोभ लालच न किसी के अन्दर होता।
स्वर्ग से सुन्दर लगता भारत न श्रृंगार जलन जालंधर होता।।

मिलता सबको बराबर मौका शुभ मुहूर्त का जंतर होता।
करता प्रयास हर विद्यार्थी  गर न कोई भेदभाव अन्तर होता।।

जीत लेता प्रकाश कलयुगी सीता को न कोई आडंबर होता।
गूंजता जय माता दी हर दिशा में खुश ब्रह्मा विष्णु शंकर होता।।

स्वरचित -प्रकाश विद्यार्थी।  भोजपुर आरा बिहार

©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #पोएट्री #कविता_शिव_की_कलम_से
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White इस सर्दी के मौसम में बाते कमाल हों गई।
मेरी मोहब्बत मेरी तमन्ना बेमिशाल हों गई।।

मैं उसका जवाब वो मेरी प्रश्न सवाल हो गई।
मेरा सुकुन सुख चैन वहीं मेरा हाल चाल हों गई।।

वो मुस्कुराती हसीना कभी नीला पीला कभी लाल हों गई।
सूट में सजी धजी मासूम सूरत होठ गुलाबी  गाल हों गई।।

मेरे सफर की हमसफर हमदम ऐसी साथी बहाल हों गई।
गुणी ज्ञानी चहकती चिड़ियां सी मन मन्दिर की भाल हों गई।।

मानो तो मै उसका सब्जी चावल वो मेरी रोटी दाल हों गई।
मैं प्यासा वो जलकुआं तृप्त ह्रदय सह सुन्दर ढाल हों गई।।

कर नहीं पाया उसको अपने कैमरे में कैद
जैसे एक सुर सरगम लय एक ताल हों गई ।

 हों गया इतना मग्न उसके आवाजे सुनकर।
ईश्क में अब सनम वो मेरे नाल हों गई ।।

नहीं छोड़ पाया उसे जब कभी बवाल हों गई।
रूठकर हमसे कभी वो तीर ताल हों गई।।

अपना लिया फिर एक दूजे को प्यार में 
एक साथ होने की संभावना निहाल हों गई।।

हैं बड़ी मनचली कलि वो परी दीवानगी की मोहिनी जाल हों गई।
हों गया ये दिल आशिकाना अब वो मेरे ख्वाब और ख्याल हों गई।।

मन ही मन चाहती हैं मुझे रंग दे बसंती गुलाल हों गई।
रह नही सकता मै बिन देखे उसे वो दिवस बाल हों है।।

मैं विद्यार्थी दीवाना उसका वो रूप की रानी खाल हों गई।
चाहत कि बारिश हुए तन मन में भींगे कई साल हो गई।।

अहसासो के बुंदे बरसे जीवन भर सदा खुशहाल हो गई।

फूलो सा खिलता रहे चेहरा भाव भूखम प्रेम महाकाल हों ।।

©Prakash Vidyarthi #good_night #कविता_शिव_की_कलम_से
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White "शिवगुरू की जय"
     (::::::शिव महिमा भजन:::::)

सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर 
करो धारण मन शिव का ही जंतर 
धन्य होगा जीवन जपलो मंतर ॐ नमः शिवाय।
बोलो शिवगुरू की जय,बोलो बम भोले की जय ।।
बाबा बैजुनाथ की जय, बाबा विश्वनाथ की जय।।

शिव ही सर्वव्यापी हैं, वो अमर अविनाशी हैं।
शिव शिखर कैलाश के वासी, शिव सदा सन्यासी हैं।।
वहीं भक्षक वही रक्षक हैं निराकार निर्भय।
बोलो नीलकंठ की जय, शंभू शंकर की जय।।
बोलो सोमनाथ की जय, बाबा माहेश्वर की जय।।

शिव ही आदि अनन्त हैं, जैसे दुर्बोत्ध ज्ञान ग्रंथ है।
क्षिति जल पावक गगन समीरा, सर्वत्र उनके अंश है।।
हैं श्रृष्टि के बड़ा बिलयन, उनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड विलय।
बोलो रामेश्वरम की जय, बाबा भूतनाथ की जय।।
भीमाशंकर की जय, मल्लिका अर्जून की जय।।

शिवदानी कल्याणी है, जटा में मां  गंगा मंदाकिनी हैं।
चंद्र ललाट सब नतमस्तक, शिव ही सबकर स्वामी हैं।।
लिखें महिमा प्रकाश भजन विद्यार्थी गुण गाए।
बोलो हटकेशवर की जय,महा मृत्युंजय कालेश्वर की जय।।
श्री घृणेश्वर की जय, ॐ कारेश्वर की जय।।

श्री त्रययंबकेश्वर की जय, आदिदेव महादेव की जय।
आशुतोष महाकाल की जय, पार्वतीवलभ जी की जय।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #गीत #Song  #poem✍🧡🧡💛 #kavita

#Sad_Status #गीत Song poem✍🧡🧡💛 #kavita #Poetry

7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White "गजल"
   ("गाने हैं हम दीवाने हैं हम")

तू मानो या न मानो शनम, तेरे दिल दीवाने हैं हम -२
कहदो गज़ल या कहो शायरी -२
पहेली कविता या गाने हैं हम....
तू मानो.........२

दूर चाहें  या  तुम पास हों,     मेरे मन की सुखद एहसास हों।
झूठा सही बस एक राज हों, ख्याबों की मलिका तुम खास हो।।
नई नई हैं बनी रचना, तू सुर सरगम तराने हैं हम -२
कहदो....... तू मानो........

याद करू रोज डरता हूं मैं, खो दू कहीं न टूटे सपना।
हक ही नहीं हैं तुझपे कोई, कैसे कहूं मै तुम्हें अपना।।
चेहरा तेरा हरदम देखा करू, परिओ के परवाने हैं हम -२
कहदो........ तू मानो........

पूजा करू तेरी मिन्नत करू, दे दे माफ़ी जो हों जाए भूल।
क्या हैं बतादे तेरा फैसला, भाने लगा हैं अब तेरा वसूल।।
ईश्वर से यहीं करू प्रार्थना, विद्यार्थी प्रेम नजराने हैं हम -२
कहदो......... तू मानो.........

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी 
               गीतकार सह गायक  
              भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi #GoodMorning #कविता_शिव_की_कलम_से #गीत #गजल_सृजन
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White :"भारत की नदियां":


आओ बच्चों रचना में पहचान करते हैं।
सीखने सिखाने का नया काम करते हैं।।
भारत के कुछ पावन नदियों को याद ।
कविता के माध्यम से अब नाम करते हैं।।

चमोली उतराखंड से गंगोत्री निकली
आगे बढ़ बन चली भागीरथी नद आनंदा।
मानसरोवर झील से ब्रह्मपुत्र निकसै 
उत्तराखंड अलकापुरी से नदी अलकनंदा।।

गोमुख गंगोत्री गलेशियर से उदित भागीरथी
किरात नदी के नाम से भीं ये जानी जाती।
गढ़वाल क्षेत्र जल धारा में कोलाहल के कारण
ये निर्झरणी भागीरथी सास भीं कभी कहीं जाती ।।

सतोपंथ भागीरथ हिमनद से उत्पन अलकनंदा 
लगभग 195 km बहकर आगे बढ़ती जाती ।
सरस्वती धौलीगंगा नंदकिनि पिंडर सहायिका 
पहाड़ों कंदराओं को तोड़ती बहू बन इठलाती।।

विष्णुप्रयाग धौलीगंगा से मिलती हैं मना गांव सरस्वती से ।
क्रनप्रयाग पिंडर सहायिका से  रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी से ।।

देवप्रयाग उत्तरकाशी में आकर ये सरिताये 
भागीरथी और अलकनंदा बड़ी मन भाए।
मिलकर दोनो की कल कल पानी संगम पर 
मां पावन पवित्र गंगा नदी कहलाए।।

उत्तर प्रदेश बिहार से गुजरती बहती गंगा 
पश्चिम बंगाल में हुगली तटीनी बन इतराए।
पबनद्वीप बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलंनकर 
ये मईया गंगा पदमा नाम से जाना जाए।।

हिमालय पहाड़ी से कंदरा जंगल में होकर 
मैदानी इलाकों को तारती कभी बाढ़ भीं लेआती।
मेघना नाम से गंगा ब्रह्मपुत्र के संयुक्त नीरधारा 
बंगाल की खाड़ी में हौले हौले अब गिरती जाती।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi #sad_quotes #रचना #कविताएं
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा "

::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं।
मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।।
विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं।
जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।।

शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है।
ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।।
दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं।
मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।।

सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं।
ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।।
जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है।
माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।।

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं।
सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।।
अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं।
भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।।

अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी।
अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।।
फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी।
त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।।

श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. ।
दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।।
करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार 
विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।।

स्वरचित:- 
प्रकाश विद्यार्थी 
(अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक)
मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार 
पिन कोड - 802301

©Prakash Vidyarthi #sad_quotes #कवितायें
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White गुदड़ी के लाल "शास्त्री जी"

  (हुबहु हाल विद्यार्थी जी)

गरीबी अभावों में हुए पैदा जो 
वो भारत के भाल बने।
मातृभूमि के आंचल में पले बढ़े   
 वो गुदड़ी के लाल जनें।।

पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव  
 मैया रामदुलारी थी।
मुगलसराय के पावन भूमि 2  
 अक्टूबर शुभ घड़ी थी।।

पिता के गुजर जानें पर
घर में छाई दुखहाली थी।
ननिहाल मिर्जापुर रहने लगी  
अम्मा शास्त्री को संभाली थी।।

गुणवान चतुर मेघावी बालक  
स्कूली शिक्षा प्रारम्भ किए।
माथे पर बस्ता कपड़ा रखकर  
गंगा नदी को लांघ दिए।।

काशी विद्यापीठ से बहादुर जब   
शास्त्री उपाधि प्राप्त किए। 
नाम के आगे जातिसूचक शब्द 
श्रीवास्तव सरनेम समाप्त किए।।

लोक कल्याण देशहित भक्ती में  
शास्त्री जी खुदको किए समर्पित।
सच्चा देशभक्त लोकतांत्रिक  
स्वराज को किए सत्य प्रदर्शित।।

विनम्र  राष्टभक्त ईमानदार  
निष्ठवान प्रतीक पहचान हुए।
भारत के अद्वितीय प्रधानमंत्री
लाल बहादुर शास्त्री नाम हुए।।

छुआछूत गरीबी अज्ञानता को
दूर करने कार्य विशेष किए।
आपस में लड़ने के बजाए  
मिलकर रहने को सनेश दिए।।

अक्सर कम साधनों के कारण वो 
सदा जीवन जिया करते थे।
फटे कुर्ते अनु पत्नी को देकर 
रुमाल बनवाकर लिया करते थे।।

अकाल भुखमरी बिप्पती के  
समय नागरिकों के निदान बने।
एक दिवसीय व्रत उपवास कर  
भुखमरी मिटाने का ज्ञान दिए।।

बापू गांधी जी थे उनके आदर्श 
 रघुपति राघव राम सजे।
जय जवान जय किसान गूंजे 
 जय भारती हिन्दुस्तान भजे।।

घर समाज देश खुश रहे यहीं  
उनकी हार्दिक इक्शा थीं।
फले फूले सबका शुभ जीवन  
प्रकाशित विद्यार्थी की शिक्षा थी।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #kavita #rachna #kahani #Poetry
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White अनुभव कहता है की
 स्त्रियों को तारीफ करने वाले पुरूष भले ही ज्यादा पसंद आते हैं,
 पर जो पुरूष उन स्त्रियों की दिखावटी तारीफ़ न करें बल्कि अपमान करदे
 झगड़ा करदे ,रूठ जाए, फिर मान जाए 
उन स्त्री पुरुषों में प्यार होने की मजबूत संभावना होती हैं ।

    
      प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi #love_shayari #thought
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White " विचारो में भिन्नता "

हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के 
लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं।

मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं 
पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।।

बस  नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो 
किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं

यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है
 जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।।

पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी।
दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।।

नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं।
नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।।

काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता 
तो विकाश की बहती पावन धारा होता।

प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ
दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।।

पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग 
जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी

 औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये
अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।।

कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं।
ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी  किसी को भी मात दे देते हैं।

अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं 
ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।।

बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं।
बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।।

तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम।
 ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi #love_shayari #कविता #poetry #रचना
7d0316933cf79dc40c1807611c99f3dc

Prakash Vidyarthi

White "स्टोरी ऑफ 1,2,3"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा ।
जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा ।

जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए।
एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।।

जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा।
जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।।

जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा।
कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।।

जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता।
निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।।

जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा 
सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।।

जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं।
पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।।

जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया।
पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।।

जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा।
मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।।

काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती।
श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।।

जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा।
प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।।

©Prakash Vidyarthi #love_shayari #poem✍🧡🧡💛 #कविताएं #रचना_का_सार
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile