आघात कर
रात काली कपाल भारी जुग्नुओं का देश है,
जो ढल रहा है खुद में ही ये कैसा परिवेश है,
जो ताप पर है सांप जैसा फन निकाले देख रहा,
जहर में भी मिठास है तू मूक हो क्यूं मौन रहा,
ये युद्ध है कुरुक्षेत्र का तू सारथी क्यूं बन गया,
धनुष उठा प्रहार कर जो तेरा है उसपर है आघात कर। #yqbaba#yqdidi#yqtales#yqhindi#yqquotes#yqaestheticthoughts#yqbhaskar