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फागुन की एक हँसमुख सुबह नदी तट से नहा कर लौटती ये

फागुन की एक हँसमुख सुबह
नदी तट से नहा कर लौटती 
ये सुवासित भीगी हवाएं
 सदापावन , माँ सरीखी
सोते देखकर मुझे जगाती ये गीली शीतोष्ण हवाएँ
सिरहाने रख एक अंजलि फूल गुरियाल के
नर्म उँगलियों से गाल को छूकर निकलती 
बिखरे बालों वाली शीतोष्ण हवाएँ

©संजय नौटियाल savere svere

#hawayein
फागुन की एक हँसमुख सुबह
नदी तट से नहा कर लौटती 
ये सुवासित भीगी हवाएं
 सदापावन , माँ सरीखी
सोते देखकर मुझे जगाती ये गीली शीतोष्ण हवाएँ
सिरहाने रख एक अंजलि फूल गुरियाल के
नर्म उँगलियों से गाल को छूकर निकलती 
बिखरे बालों वाली शीतोष्ण हवाएँ

©संजय नौटियाल savere svere

#hawayein