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अजनबी था शहर कल तक रास्ते भी गुमशुदा आसमां

 अजनबी  था शहर कल  तक
रास्ते   भी   गुमशुदा 
आसमां  अपना सा था
बस चांद  बेगाना लगा
   धूप थी वैसी ही  कच्ची
               दोपहर  अलसाई  सी
                शाम के साये  थे धुंधले
                 रात कुछ घबराई सी 
                रात की आगोश में  
                वीरानियों  का शोर था
                सब  तो थे अपने   ही 
                बस खुद  का न  कोई  ठौर था.... 
                              प्रीति 

 #बदले  ठिकाने 
 #yqdidi
 अजनबी  था शहर कल  तक
रास्ते   भी   गुमशुदा 
आसमां  अपना सा था
बस चांद  बेगाना लगा
   धूप थी वैसी ही  कच्ची
               दोपहर  अलसाई  सी
                शाम के साये  थे धुंधले
                 रात कुछ घबराई सी 
                रात की आगोश में  
                वीरानियों  का शोर था
                सब  तो थे अपने   ही 
                बस खुद  का न  कोई  ठौर था.... 
                              प्रीति 

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preetikarn2391

Preeti Karn

New Creator

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