लम्बी कतार में गुजता रहा उम्मीद बान्धे आगे बढता रहा सपनों के चादर लपेटे जिदगी से जूझता रहा आखं खुली तो महसूस हुआ सफर में जहां से निकला था खत्म वहीं हुआ है खोया है बहुत कुछ दामन को बस आसूं से लथपथ पाया है कहीं नाउम्मीद ना होजाए कोइ देख मेरा हाल जमाने के सामने मेने बस दिल खोलके मुसकुराया है । ©Tafizul Sambalpuri #Journey Irfan Saeed Writer Dr. Sakshi