कुछ चीजों की कदर मकशद से होती है, हम तो गुनाह है, जो तुमने किये थे, आज भी याद आये तुम्हारी तो थाम लेते है खुदको तुम्हारे इन्तेजार में लोग मेरा जनाजा लिए खड़े थे जनाजा##