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स्वयं को स्वयं से बचा नहीं सकता, अंधेरा रोशनी को छ

स्वयं को स्वयं से बचा नहीं सकता,
अंधेरा रोशनी को छुपा नहीं सकता।
दिन में चंदा प्रकाश फैला नहीं सकता,
सूरज को कोई रोशनी दिखा नहीं सकता।
स्वयं को उजालों से छुपा नहीं सकता,
न चाहने वालों को राह दिखा नहीं सकता।
सीने का दर्द किसी को दिखा नहीं सकता,
छिड़कता जख्मों पर नमक जिसने उसे बात नहीं सकता।
दर्दे दिल का दर्द बयां कर नहीं सकता,
चाहा जिसको दिल से उसे रुसवा कर नहीं सकता।
अपने जख्मों की नुमाइश कर नहीं सकता,
अब थक चुका हूं बार-बार आह भर नहीं सकता।
हाल -ए- बयां चौहान कर नहीं सकता,
शरीर में जान बाकी है बस मर नहीं सकता।
सदा तुझे ही चाहा
बस किसी को कह नहीं सकता,
छाया बनाकर सदा चलना चाह
परंतु तुझे लड़खड़ाते हुए देखा नहीं सकता।
लाख आए जीवन में कठिनाइयां
मैं डर नहीं सकता,
माना मुश्किल है डगर
परंतु रुक नहीं सकता।
जमाना चाहे लाख सताए
उनके सामने झुक नहीं सकता,
जीवन बड़ा अनमोल है
इससे मुंह फेर नहीं सकता।

©Shishpal Chauhan
  # जीवन बड़ा अनमोल है

# जीवन बड़ा अनमोल है #कविता

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