यध्यपि दिशाओं का विस्तार सिमित हुआ है पर मन की दूरी पर अंकुश नही लगा है हमने असाधारण को साधारण रूप से सहन किया है किन्तु हमसे उसको सहज रूप से सहजा नही गया है आओ दूर दिशाओं की ओर देखे गहराईयों को रोन्दे अंतरिक्ष में राजमार्ग बनाले पर पहले एक दुसरे को गले तो लगा ले दूर की दूरी तो अकेले भी तय कर लेंगे किन्तु निकटता की दूरी तो हम दोनों को गले मिल कर ही दूर करनी होंगी ©Parasram Arora निकटता की दूरी