(दर्द भरे गीत ) दर्द भरे क्या गीत लिखू किसे मन का प्रीत कहूँ भोर हुआ तम ठहर गया आशा -किरण न दिख रहा दर्द भरे क्या गीत लिखू किससे पूछूं किससे कहूँ किससे अब वाकया करू न प्रीत मिला न चैन मिला मन में तम छा गया दर्द भरे क्या गीत लिखूँ दिन रात में अब न फर्क रहा उर वेदना से त्रस्त हुआ अधर मुसकान भी रुक गया अपनो का न अब संग रहा दर्द भरे क्या गीत लिखू धरा जैसा जो तुझे समझा गंगा जैसा निर्मल माना प्राणों का चिर दर्द बना जो मिटाये अब न मिट रहा दर्द भरे क्या गीत लिखू तस्वीर थी तेरी मेरे मन में तुम जा कहाँ अब खो गयी अश्क बहा मन रो रहा तुम क्यों हमसे दूर हुई दर्द भरे क्या गीत लिखू हो गई अब आँखों से ओझल हृदय बिलख अब रो रहा किसे मुसकान भरे अब गीत कहूँ मन प्रीत मुझे जो मिल न सका दर्द भरे क्या गीत लिखू ©(संगीत कुमार /जबलपुर ) ✒️स्व-रचित 🙏🙏🌹 (दर्द भरे गीत) दर्द भरे क्या गीत लिखू किसे मन का प्रीत कहूँ भोर हुआ तम ठहर गया आशा -किरण न दिख रहा दर्द भरे क्या गीत लिखू