अब्र के साए सा साथ-साथ चलता है, तू साथ है तो ख़िज़ाँ भी शादमानी है ! -1 किसीको मुफ़्त में आसरा भी नहीं देता, कितना छोटा है मेरे दिल से ये शहर मेरा ! -2 साहिल पे खड़े हो के यूँ न देख तमाशा, मझधार में कभी तेरा भी सफ़ीना होगा ! -3 सच बात कहता हूँ तो लोग रूठ जाते हैं, आजकल आईना होने से डर जाता हूँ ! -4 जागे जो नींद से तो जाना की ख़्वाब था वो, पहलू में हम तुझे न पा करके रो लिए ! -5 नज़र भर देख लेने में भला हर्ज भी क्या है, कि आरज़ी ही सही, रु-ब-रु सराब तो है ! -6 मगर इश्क़ ने कब माने हैं ज़माने के उसूल, इश्क़ गुनाह ही सही, मगर करके देखिये ! -7 पा के मंज़िल को भी सफ़र में हम हैं, ख़त्म होता नहीं इश्क़ की राहों का सफ़र ! -8 तारीकियों में साथ छोड़ जाती है, एक बेवफ़ा तुम, और एक मेरी परछाईं है ! -9 तमाशा इश्क़ का हो तो सारी दुनिया देखे, मेरी तसव्वुर-ए-ग़ज़ल सर-ए-आम तो आये ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 अब्र के साए सा साथ-साथ चलता है, तू साथ है तो ख़िज़ाँ भी शादमानी है ! -1 किसीको मुफ़्त में आसरा भी नहीं देता, कितना छोटा है मेरे दिल से ये शहर मेरा ! -2 साहिल पे खड़े हो के यूँ न देख तमाशा, मझधार में कभी तेरा भी सफ़ीना होगा ! -3