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बुआ, अपने भाई का दुलार । अपने ही अपनेपन से करती

बुआ, 
 अपने भाई का दुलार । 
अपने ही अपनेपन से करती 
अपने प्यार की बौछार। 
कभी लड़ती-कभी झगड़तीं। 
पल भर में फिर सब भूल जाती।
बस! वो जब आती हैं घर। 
उसकी चहल-पहल से ही 
चहचहा जाता आँगन घर का। 
अपनी ही भाभी पर अपनेपन से भी
ज्यादा हक जताती। 
बस! मायका उसका अपना हैं । 
यही बात वह हमेशा जताती हैं। 
माँ, की लाडली
बाबा की दुलारी। 
भाई की दुलारी। 
तभी तो हर-घर की रौनक होती है 
बेटी। 
आज बेटी कल बुआ। 
बस! बुआ कहीं न कहीं 
हम बच्चों की जान ही होती हैं। 
बुआ.... 
एक अलग ही प्यार हैं 
अपने भतीजा-भतीजी के लिए। 
बुआ, 
ये शब्द, सिर्फ शब्द ही नहीं
ये प्यार, अपनापन, 
सीने से लगा लेना। 
अनन्त भावों को जाग्रत करता 
वो रिश्ता जिसमें जीवन का सारा सार 
समाया होता हैं। 
बस! इसी जन्म में 
फिर न जाने कहाँ मिलेगा। 
ये रिश्ता.... 
बुआ,,,,

©Geeta Sharma pranay #bua

#Thinking
बुआ, 
 अपने भाई का दुलार । 
अपने ही अपनेपन से करती 
अपने प्यार की बौछार। 
कभी लड़ती-कभी झगड़तीं। 
पल भर में फिर सब भूल जाती।
बस! वो जब आती हैं घर। 
उसकी चहल-पहल से ही 
चहचहा जाता आँगन घर का। 
अपनी ही भाभी पर अपनेपन से भी
ज्यादा हक जताती। 
बस! मायका उसका अपना हैं । 
यही बात वह हमेशा जताती हैं। 
माँ, की लाडली
बाबा की दुलारी। 
भाई की दुलारी। 
तभी तो हर-घर की रौनक होती है 
बेटी। 
आज बेटी कल बुआ। 
बस! बुआ कहीं न कहीं 
हम बच्चों की जान ही होती हैं। 
बुआ.... 
एक अलग ही प्यार हैं 
अपने भतीजा-भतीजी के लिए। 
बुआ, 
ये शब्द, सिर्फ शब्द ही नहीं
ये प्यार, अपनापन, 
सीने से लगा लेना। 
अनन्त भावों को जाग्रत करता 
वो रिश्ता जिसमें जीवन का सारा सार 
समाया होता हैं। 
बस! इसी जन्म में 
फिर न जाने कहाँ मिलेगा। 
ये रिश्ता.... 
बुआ,,,,

©Geeta Sharma pranay #bua

#Thinking