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अंधकार भरी इस दुनियां में, चिराग लिए फिरें कहाँ तक

अंधकार भरी इस दुनियां में, चिराग लिए फिरें
कहाँ तक?
फरेब ही फरेब भरा हर कंही, जातीं है निगाह
जहाँ तक?
लालच और धोखे मिले हर कदम पर, ईमान
की गठरी ढोयें कहाँ तक?
गद्दारों की इस महफिल में, सच्चाई की छतरी
ओढ़े कहाँ तक?

©Faniyal
  #andherekahatak