" क्या बताऊं कि ग़म भुलाने बैठे , आज फिर उसे हद से ज्यादा याद करने बैठे हैं , रंजिशो की अब बात क्या करें , आज तो अपने खुदा को भुलाने बैठे हैं. " --- रबिन्द्र राम " क्या बताऊं कि ग़म भुलाने बैठे , आज फिर उसे हद से ज्यादा याद करने बैठे हैं , रंजिशो की अब बात क्या करें , आज तो अपने खुदा को भुलाने बैठे हैं. " --- रबिन्द्र राम #ग़म #हद #याद #रंजिशो #खुदा #भुलाने