White कभी सोचना कभी मुस्कुरा देना ये नादानियां अक्सर खुद को ही अच्छी लगती है, वक्त का क्या है वो कभी तुम्हारा साथ नहीं देगी, ये वो तवायफ है जो हर एक के पहलू में बैठती है, किस्मत में उतना ही मिलता है जितनी हाथों की लकीरें कहती हैं, तू ये न समझना तेरी किस्मत ही रुठी है, अब कुछ असर नहीं होता शब्दों की तीरो का अब तो नश्तर भी गर चुभ जाए तो दर्द नही होता, तू रो भी दे अगर तो किसी को फर्क पड़ता है, बस इतनी सी गलतफहमी में न रहना.... ©snigdha rudra #कविता