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एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा आँखे हैरान है

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँखे हैरान है क्या हमारा लाड़ला ज़माने से उठा...
 रहने को सदा आता नहीं कोई 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई....
बिछड़ा कुछ इस अदा गए आप की 
इक शख़्स सारे परिवार को वीरान कर गए....
कोई भाई कोई काका कोई मामा कहता था
ओ शख़्स उस माँ का दुलारा था......
जैसे ही दिवाली जैसे राखी आती थी
सबको याद दिलाता था
ओ हमारे परिवार का  लाड़ला था......
जब हम सब मिलते थे
तो वह बहुत हँसता था
ओ हमारे परिवार का लाड़ला था......
 न जाने ऐसा क्या हुआ
जो हमसे रूठ कर चला गया
ओ हमारे परिवार का लाड़ला था... miss you mamaji
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँखे हैरान है क्या हमारा लाड़ला ज़माने से उठा...
 रहने को सदा आता नहीं कोई 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई....
बिछड़ा कुछ इस अदा गए आप की 
इक शख़्स सारे परिवार को वीरान कर गए....
कोई भाई कोई काका कोई मामा कहता था
ओ शख़्स उस माँ का दुलारा था......
जैसे ही दिवाली जैसे राखी आती थी
सबको याद दिलाता था
ओ हमारे परिवार का  लाड़ला था......
जब हम सब मिलते थे
तो वह बहुत हँसता था
ओ हमारे परिवार का लाड़ला था......
 न जाने ऐसा क्या हुआ
जो हमसे रूठ कर चला गया
ओ हमारे परिवार का लाड़ला था... miss you mamaji
cheta6613782711063

chetan yeshi

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