आंखों से विलुप्त हो रहें ख्वाबों को टूटते विश्वास के कच्चे धागो को l बलात्कृत होने से प्रेम और शांति को दिग्भ्रमित होने से नादान दिल को l बदलते दिलों से मासूमियत को शर्मसार हो रही इंसानियत को l पर्यावरण की स्वच्छता को हरे भरे वाटिका को l मतिभ्रष्ट होने से इंसानो को नष्ट होने से पेड़-पौधों को l बढ़ती औद्योगीकरण से हमारी पृथ्वी को इंसानी अतिक्रमण से हमारी धरती को l बचाने की ज़रूरत है आंखों से विलुप्त हो रहें ख्वाबों को टूटते विश्वास के कच्चे धागो को l बलात्कृत होने से प्रेम और शांति को दिग्भ्रमित होने से नादान दिल को l