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है सूरज-सा तेज समन्दर-सा पानी मुझमें, ख़ुद को समे

है सूरज-सा तेज
समन्दर-सा पानी 
मुझमें,
ख़ुद को समेटे बैठीं हैं
अनेकों कहानी मुझमें,,
इत्तेफाक होगा अगर 
कोई दास्ताँ तुम्हारी
 निकले,
शब्दों को समेटकर 
कविता में पिरोने की है 
आदत पुरानी मुझमें

©Ved Prakash
  बस यूहीं लिखता रहूँ दुआ कीजिए 🤗#writer, #mythoughts, #mypoetry, #unkahejazbaat, #writerzone, #sahityakaksh, #sahitya
vedprakash5863

Ved Prakash

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बस यूहीं लिखता रहूँ दुआ कीजिए 🤗writer, #MyThoughts, #MyPoetry, #unkahejazbaat, #writerzone, #sahityakaksh, #sahitya #शायरी

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