ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया,
खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया।
जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो
स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता।
नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते,
इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते,
पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते।
प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी, #yqbaba#yqdidi#blessings