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ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया, खुद

ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया,
खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया।
जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो
स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता।
नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते,
इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते,
पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते।
प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी,
आत्मनिर्भर नहीं किसीकी जीवन कहानी।
Read in caption ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया,
खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया।
जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो
स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता।
नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते,
इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते,
पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते।
प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी,
ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया,
खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया।
जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो
स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता।
नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते,
इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते,
पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते।
प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी,
आत्मनिर्भर नहीं किसीकी जीवन कहानी।
Read in caption ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया,
खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया।
जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो
स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता।
नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते,
इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते,
पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते।
प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी,

ईश्वर ने जिसको भी दिया,दूसरों के लिए ही दिया, खुद की जरूरतों के लिए,औरों पर निर्भर किया। जीव-जंतु का भोजन,पेड़-पौधों से आता, जो स्वयं अपना पोषण मिट्टी,जल,रोशनी से पाता। नदी की निधि हेतु,पर्वत-हिमखंड पिघल जाते, इसी पानी के वाष्प,सागर से बादल बन जाते, पहाड़ों से टकरा कर,नन्हें बूँदों में बदल जाते। प्राणी हो या पौधा,पहाड़ हो या हो पानी, #yqbaba #yqdidi #blessings