Nojoto: Largest Storytelling Platform

कामस्य नेन्द्रियप्रीतिर्लाभो जीवेत यावता। जीवस्य त

कामस्य नेन्द्रियप्रीतिर्लाभो जीवेत यावता।
जीवस्य तत्व जिज्ञासा नार्थो यश्व्वेह कर्मभिः।भा/पु 1/2/10





भोग( भोजन) का अर्थ इंद्रियों को तृप्त करना नहीं है, उसका प्रयोजन  केवल जीवन निर्वाह मात्र है । ओर जीवन का फल भी तत्व जिज्ञासा अर्थात प्रभु को खोजने-पाने की जिज्ञासा है, बहुत कर्म करके विषय सुख सुविधा तथा स्वर्गादि प्राप्त करना भी  उसका फल कदापि नहीं।""केवल उस परम्तत्त्व जानना है ""
हरे कृष्ण

©दासनुदास सोम कामस्य नेन्द्रियप्रीतिर्लाभो जीवेत यावता।
जीवस्य तत्व जिज्ञासा नार्थो यश्व्वेह कर्मभिः।
कामस्य नेन्द्रियप्रीतिर्लाभो जीवेत यावता।
जीवस्य तत्व जिज्ञासा नार्थो यश्व्वेह कर्मभिः।भा/पु 1/2/10





भोग( भोजन) का अर्थ इंद्रियों को तृप्त करना नहीं है, उसका प्रयोजन  केवल जीवन निर्वाह मात्र है । ओर जीवन का फल भी तत्व जिज्ञासा अर्थात प्रभु को खोजने-पाने की जिज्ञासा है, बहुत कर्म करके विषय सुख सुविधा तथा स्वर्गादि प्राप्त करना भी  उसका फल कदापि नहीं।""केवल उस परम्तत्त्व जानना है ""
हरे कृष्ण

©दासनुदास सोम कामस्य नेन्द्रियप्रीतिर्लाभो जीवेत यावता।
जीवस्य तत्व जिज्ञासा नार्थो यश्व्वेह कर्मभिः।