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विधा  :-   चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता

विधा  :-   चवपैया छन्द
तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो ।
अब सोच समझ लो,तब निर्णय लो,कब इनमें बसते हो ।।
ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं ।
मत देखो थैली , होती मैली , पाप सदा भरते हैं ।।

इनका धर्म नहीं , ईमान नहीं,   माया के गुण गाते ।
सब भूले अपने , देखें सपने , जग को ये भरमाते ।।
ये बे पथ होकर , बनकर नौकर , बन जाते हैं राजा ।
कर झूठे वादे , गलत इरादे , खूब बजाते बाजा ।।

ठोको छाती , अब दिन राती , मुर्गा दारू खाके ।
अब क्यों है रोता , उडता तोता , बोलो मेरे काके ।।
सुन जहाँ समय है , करूँ विनय है , जागो मेरे भ्राता ।
तुम क्यों हो डरते ,चलकर लडते , तुम सब हो मतदाता ।।

२९/११/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा  :-   चवपैया छन्द


तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो ।

अब सोच समझ लो , तब निर्णय लो , कब इनमें बसते हो ।।

ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं ।
विधा  :-   चवपैया छन्द
तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो ।
अब सोच समझ लो,तब निर्णय लो,कब इनमें बसते हो ।।
ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं ।
मत देखो थैली , होती मैली , पाप सदा भरते हैं ।।

इनका धर्म नहीं , ईमान नहीं,   माया के गुण गाते ।
सब भूले अपने , देखें सपने , जग को ये भरमाते ।।
ये बे पथ होकर , बनकर नौकर , बन जाते हैं राजा ।
कर झूठे वादे , गलत इरादे , खूब बजाते बाजा ।।

ठोको छाती , अब दिन राती , मुर्गा दारू खाके ।
अब क्यों है रोता , उडता तोता , बोलो मेरे काके ।।
सुन जहाँ समय है , करूँ विनय है , जागो मेरे भ्राता ।
तुम क्यों हो डरते ,चलकर लडते , तुम सब हो मतदाता ।।

२९/११/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा  :-   चवपैया छन्द


तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो ।

अब सोच समझ लो , तब निर्णय लो , कब इनमें बसते हो ।।

ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं ।