1. जल ही जीवन यह सर्वविदित, जग और मानवता के निमित्त, यह मन जलमय हो जाए, जीवन निर्मल हो जाए। 2. जल हो ठंडा या हो गर्म, देता आग बुझाये, गर्मी में शीतल करे, बंजड़ में प्राण भर जाए। 3. आतप भूमि की कोख को, जीवन सिंचित कर जाए, मुरझाते जनजीवन को, पुनः जीवित कर जाए। #क्षणिकाएँ #जल #