मज़बूर तेरी यादों की आहट तो हुई, पर मैं दूर था, मज़बूर था! तेरी कामयाबी की आहट तो हुई, पर मैं मज़दूर था, मज़बूर था! तेरी नाराज़गी की आहट तो हुई, पर मैं बेक़सूर था, मज़बूर था! तेरी अदायों की आहट तो हुई, पर मैं चकनाचूर था, मज़बूर था! तेरी आवाज़ की आहट तो हुई, पर मैं अब बेनूर था, मज़बूर था! #मज़बूर #ananddadhich #hindipoetry