कभी सोचे हो उस मा के दिल पर क्या गुजरी होगी जब उसकी दिल की टुकड़े को उन दरिंदों ने बेरहमी से रोंदी होगी जिस लाडली के आखों में कभी आसुं ना देखी होगी उसकी दर्द भरी चीखों के आहट उसके कानों में गूंजी होगी जिसकी भुक मिटाने की कोशिश में वो दिन रात एक करती होगी कोई अपनी हवस का भूक़ मिटाएं उसकी आत्मा को छन्नी करदे ऐसे कभी क्या वो मा सोची होगी जिसकी एक खरोच पे घर सर पे उठालेती उसकी कुचली हुई बदन देखकर उस मा पे क्या गुजरी होगी जिसे फूल सि रखी थी वो जो उसकी घर आंगन महकाती थी अभि दुनिया को कांटों सि चुभेगी अपनी वो मासूम कली जब खुद की अस्तित्व के लिए लड़ेगी उस मा पे क्या गुजरेगी कौन जानता है आख़िर दिल पर क्या गुज़रती है? #क्यागुज़रतीहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi कभी सोचे हो उस मा के दिल पर क्या गुजरी होगी जब उसकी दिल की टुकड़े को उन दरिंदों ने बेरहमी से रोंदी होगी जिस लाडली के आखों में कभी आसुं ना देखी होगी