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1)आपदाओं के बंधन में में घिर चुका है मानव ये कैसी

1)आपदाओं के बंधन में में घिर चुका है मानव
ये कैसी घटा छायी हतास होकर बैठा है मानव

2)कोई इधर कोई उधर  हुंकारे लगा रहा है
देखो अपने जाल में fasha बैठा है मानव

3)हे दीनदयाल अब सुन लो पुकार यही बार- बार दुहरा रहा है मानव।
कुछ तो रछा करो प्रभु  नित्य यही प्राथना कर रहा है।मानव

4)विपदा की घड़ी में रंग बदलना भूल गया है। मानव।।

अब तो  चुप्पी badhh कर  कमरे से बाहर निकलना भूल गया है। मानव

5)कोरोना पत्थरों से बर्फबारी  भी करा रहा  ये भी कह रहा है ।मानव।
अब तो अपने ही जंजालों में बुरीतरह फस गया है।मानव

6)सारे ज्ञान, विज्ञान के सागर में डूब गया है ।मानव
फिर भी अकेला दूरी बनाकर खड़ा है ।मानव

7)दाने दाने पे खाने वाले का नाम कहने वाला ।मानव
आज  खुद  दाने दाने के लिये मोहताज़ हुआ है।मानव covid19#Stayhome#अतुल्य भारत
1)आपदाओं के बंधन में में घिर चुका है मानव
ये कैसी घटा छायी हतास होकर बैठा है मानव

2)कोई इधर कोई उधर  हुंकारे लगा रहा है
देखो अपने जाल में fasha बैठा है मानव

3)हे दीनदयाल अब सुन लो पुकार यही बार- बार दुहरा रहा है मानव।
कुछ तो रछा करो प्रभु  नित्य यही प्राथना कर रहा है।मानव

4)विपदा की घड़ी में रंग बदलना भूल गया है। मानव।।

अब तो  चुप्पी badhh कर  कमरे से बाहर निकलना भूल गया है। मानव

5)कोरोना पत्थरों से बर्फबारी  भी करा रहा  ये भी कह रहा है ।मानव।
अब तो अपने ही जंजालों में बुरीतरह फस गया है।मानव

6)सारे ज्ञान, विज्ञान के सागर में डूब गया है ।मानव
फिर भी अकेला दूरी बनाकर खड़ा है ।मानव

7)दाने दाने पे खाने वाले का नाम कहने वाला ।मानव
आज  खुद  दाने दाने के लिये मोहताज़ हुआ है।मानव covid19#Stayhome#अतुल्य भारत
supriyarai4731

Supriya Rai

New Creator

covid19Stayhomeअतुल्य भारत #poem