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दिसंबर के साथ ये जो साल जा रहा है, मानो जिंदगी से

दिसंबर के साथ ये जो साल जा रहा है,
मानो जिंदगी से कोई बवाल जा रहा है,
जाने कितनों के सपने खाकर, बेजार करके। 
गली गली देखो बेरोजगार जा रहा है,
बवाल जा रहा है जंजाल जा रहा है,
गरीबों की हाय लिए दबे पाव जा रहा है।
अरमानों को तोड़, देकर मलाल जा रहा है।
वर्षों कि मेहनत लिए उत्थान जा रहा है।
कैसे हो नवोदय लिए आधार जा रहा है।
बेजार कर किए लाचार जा रहा है।

©AshuAkela
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ashuakela5416

AshuAkela

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