हे लीलाधर तेरी शाश्वत प्रेम लीलाये अब आदर्शो की सीमा लांघ चुकी हैँ आज हर गली मे तेरी प्रेरक प्रेम लीलाये दोहराई जा रही हैँ आज गोपियों और कान्हा क़े सुर बदले हैँ और शृंगार तथा परिधानों ने भी नई सज़्ज़ा पाई हैँll आज तेरा माखनचोर व्यक्तित्व विवादों क़े घेरे मे हैँ गीता का ज्ञान जिस अर्जुन को तूने महाभरत मे दिया था वही अर्जुन विस्फोटक सामग्री क़े साथ गली गलीघूम रहा हैँ आज भरत तटस्थ हैँ चुनाव शून्य हैँ और नैतिक विकृतियों से जूझ रहा हैँ हे लीलाधर क्या यही हैँ वो धरा जहाँ तूने जन्म लिया था हे लीलाधर.......