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रेत सी इन हाथों से ,फिसल गयीं हैं ख्वाइशें फिर भी

रेत सी इन हाथों से
 ,फिसल गयीं हैं ख्वाइशें
फिर भी उन्हे थामने की ,
कर रहा हूँ कोशिशें
कुछ तो बिगाड़ा होगा 
मैंने तेरा, ये किस्मत
तूने मुझसे यूंही ,
नहीं पालीं ये रंजज़िशें कुछ नहीं
रेत सी इन हाथों से
 ,फिसल गयीं हैं ख्वाइशें
फिर भी उन्हे थामने की ,
कर रहा हूँ कोशिशें
कुछ तो बिगाड़ा होगा 
मैंने तेरा, ये किस्मत
तूने मुझसे यूंही ,
नहीं पालीं ये रंजज़िशें कुछ नहीं

कुछ नहीं