रेत सी इन हाथों से ,फिसल गयीं हैं ख्वाइशें फिर भी उन्हे थामने की , कर रहा हूँ कोशिशें कुछ तो बिगाड़ा होगा मैंने तेरा, ये किस्मत तूने मुझसे यूंही , नहीं पालीं ये रंजज़िशें कुछ नहीं