ख़्वाब और हक़ीक़त (अनुशीर्षक में पढ़ें) ख़्वाब और हक़ीक़त ख़्वाब देखे मैंने कई जो सच ना हुए दिल टूट के बिखर गया हम इक रात भी चैन से ना सोए देखा था ख़्वाब हमने