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Black वादों की बरसातें कभी तो मुक्कमल होती, दिलो

Black 
वादों की बरसातें कभी तो मुक्कमल होती, 
दिलों में फिर से वहीं पुरानी सी हलचल  होती, 
गुल खिलते फिर से मुहब्बत की जमीन पर, 
फिर अश्क में डूबकर आंखें न दलदल होती ll

©Manju kushwaha
  #वादा