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लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ

लबालब

फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है
जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है।
कभी कभी ये हमें सावधान भी किए जाती हैं कि 
इसे किसी ठंडी जगह रखें,ठंडी और अंधेरी जगह।

शायद यह भी हमारी तरह है, हमारी वर्तमान आपे जैसी, 
केवल ठंडे अंधेरे में ही पनप पाती है।
और गर्मी के अभाव में, अधोमुख पड़ी,
बहुत ही निचला महसूस करते हुए, 
खिन्न, दबा दबा सा रहना चाहती हैं।

हमारे मूकदर्शन के मानिंद इसका मुख भी मोहरबंद है, 
इसे तोड़कर ही किसी रक्त धमनी की फुहार सा रस रिसाव होगा।
यह कृत्रिम माधुर्य से भरा रस
जिव्हा और दाँतों में एक खटास छोड़ जाता है।

बड़ी अजीब बात है न?
यह वैसा ही है, हमारे मीठे सपनों सा,
स्वप्न, जो उत्कर्ष से वंछित रह गए थे,
और अब जिन्होंने हमारे चित्त के तालू पर 
एक खटास छोड़ दी हैं।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola
  लबालब

फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है
जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है।
कभी कभी ये हमें सावधान भी किए जाती हैं कि 
इसे किसी ठंडी जगह रखें,ठंडी और अंधेरी जगह।

शायद यह भी हमारी तरह है, हमारी वर्तमान आपे जैसी,

लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान भी किए जाती हैं कि इसे किसी ठंडी जगह रखें,ठंडी और अंधेरी जगह। शायद यह भी हमारी तरह है, हमारी वर्तमान आपे जैसी,

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