बहुत सुना ली सब को अपनी व्यथा, अब न तू समाज में बस मज़ाक बन। ( अनुर्शीषक में पढ़ें ) Inspired from yq writer Aradhya बहुत सुना ली सब को अपनी व्यथा, अब न तू समाज में बस मज़ाक बन, अबला, असहाय, कमज़ोर न तू बन, तू खुद अपनी अब बस पहचान बन। अन्धे, गूंगे बहरों का समाज है ये ऐसा,