अभी नज़रों में खटकते हैं, कभी दिल में धड़केंगे भी, तहरीरों का तू ही नसीब, कभी हाथों में चमकेंगे भी। याद नहीं आती, ख़याल नहीं आते, न आता सवाल, बनकर तेरी बेचैनियाँ, कभी लफ़्ज़ों में छलकेंगे भी। किया नज़रअंदाज़ तेरे लिए, वक़्त दिखा रहा आईना, ग़म के बदले ख़ुशी देकर कभी हँसी में खनकेंगे भी। तेरी ख़ुशी की ख़ातिर कर ली इन सन्नाटों से दोस्ती, कभी आएगा तू बहार बन, कभी तुझमें महकेंगे भी। एहसास दिलाया नहीं जाता महसूस होता है 'धुन', बाँहों में बाँहें डाल कर, कभी साथ में चहकेंगे भी। ♥️ Challenge-620 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।