सोचते है कि अब तेरे दर पे आये तो आये कैसे कि गुनाह ऐसा है कि तुझे बताये कैसे किसी की बद्दुआ है या है बुरी नज़र का नतीजा हम खुदसे नज़रे अब मिलाए तो मिलाए कैसे बड़ा नाज़ था हमको भी वफा ए मुहब्बत का अपनी ही लगाई आग को बुझाए कैसे कोई चीखता है गुनाहों के बोझ तले दबा हुआ हम महफिलों में अब मुस्कुराए तो मुस्कुराए कैसे दिल बहुत चाहता है कि बयान कर दूँ राज़ ए हकीकत पर वो जज़बा लाए तो लाए कैसै अपनी ही कहानियां है सबकी जीस्त ए सफर की मखदूम तेरे सिवा अपना किस्सा सुनाए किसको खुदा बस तेरे ही नाम पे रख छोड़ा था आशिया अपना अब तेरा नाम ले के ज़नाजा सज़ाए कैसे........ थकती नहीं थी जो जुबान खुदा खुदा कहते। दर्द बहुत है पर हम तुझे आवाज़ लगाए तो लगाए कैसे।।।।। #Raani*Charmi* Gunaah#love#life#feelings